Usha sharma

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लेखनी प्रतियोगिता -08-May-2023


रिश्तों के बंधन हमें जीने की सिखाते हैं कला, 
बनते बिगड़ते समीकरणों से सीखते संग साथ। 

हर खास रिश्तों की मोगरे सी भीनी खुश्बू से,
मेरा जीवन आन्नद बन महकते दिन और रात।

रिश्तों में  मौजूद विश्वास, राहत ए दवा हरदम,
चुनौतियों में दिलाता बेफिक्री का भी अहसास।

बड़े -बुजुर्गों के आशीर्वाद महकते घर आंगन में,
छोटों के स्नेह आदर और सम्मान रहें आसपास।

पेशानी पे उभरी चंद परेशानी की स्वेद बूंदों में,
पिय संग जीवन बहार में हरसूं, हल रहता पास।

जीवन में अंतरंगी सच्चे मित्रों की मौजदूगी भर,
निराशा व अवसाद में बन महकती खुशियाँ खास।

आस्था  विश्वास ईश आराधना ऊर्जा बन महकते,
सुवासित मोगरे की महक,सत्कर्मों का है आभास।

© उषा शर्मा 

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2 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन

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Varsha_Upadhyay

08-May-2023 11:54 PM

शानदार

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